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मनहरण घनाक्षरी




मनहरण घनाक्षरी


जब हनुमान लड़े, असुर जमीन पड़े;

वीर बलवीर जी की, जय जय करिये।


राम जी का हनुमान,करते सदा हैं ध्यान;

राम को ही रात-दिन,मेरे प्यारे भजिये।


जप तप व्रत कर,संयम से काम कर;

सबका खयाल कर,मनहर रहिये।


कभी न निराश होना, आस न विश्वास खोना;

 मन में प्रसन्नता का,सदा बीज बोइये।


राम का ही जाप कर, त्याग का प्रचार कर;

दिव्य भावना पवित्र, सा सदैव बहिये।


लोक का विकास कर,अपना उद्धार कर;

पर-उपकार कर, आगे-आगे चलिये।


निजता को छोड़ कर, सम गठजोड़ कर;

सुंदरम की नींव से, स्वर्ग को बनाइये।


भक्तिभाव जागरण, प्रेम हो उदाहरण;

ज्ञान का प्रकाश बन, विश्व नहलाइये।


 शुभमय संकल्पना, पावनी मधु भावना;

लोक में परलोक का,दर्शन कराइये।





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2 Comments

Swati chourasia

01-Feb-2023 11:22 AM

वाह वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌 बेहतरीन 👌👌👌👌

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Renu

25-Jan-2023 03:54 PM

👍👍🌺

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